इतवारी तिहार
हमारी छत्तीसगढ़ की संस्कृति सदा से ही सहिष्णुता का पर्याय रही है, न केवल मनुष्यों के प्रति अपितु अन्य जीवों के प्रति भी। संस्कृति वह फुलवारी है जिसमें विविध परंपराएं, मान्यताएं, लोकरीति, जनश्रुति, लोकव्यवहार एवं समाज के कल्याण के हितार्थ अपनाए गए आदर्श रिवाजों की सुगंध विद्यमान होती है । हमारे छत्तीसगढ़ अंचल मे मनाए जाने वाले विभिन्न आंचलिक एवं स्थानीय त्योहार भी उन्ही मे से एक है । प्रत्येक त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है । इन्ही ग्रामीण त्योहारों की श्रृंखला मे एक त्योहार है इतवारी तिहार । इस त्योहार की मान्यता छत्तीसगढ़ अंचल के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों मे भिन्न-भिन्न हो सकती है , इसमे कोई दो राय नही। अब कहा गया है न "कोस कोस मे पानी बदले......" इस इतवारी के संबंध मे मैने जो बातें अपने बुजुर्गों से सुनी है मै उसके संबंध मे कुछ बातें बताने का प्रयास कर रहा हूॅ । इतवारी तिहार का शाब्दिक अर्थ होता है 'इतवार का त्योहार ' या इतवार उत्सव। "इतवारी तिहार" की तरह ही बुधवारी या सोमवारी तिहार भी हो होते हैं। इतवारी तिहार को मनाने के पीछे मान्य...